Mera Kuldeepak

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पापा ओ पापा… नाहा लिए क्या… नाश्ता लगवा दूँ ….?
अरि ओ जमुनिया…सुनती है …पापा का नाश्ता लगा दे ज़रा.

‘हओ मोरी अम्मा जी ..आये रहे..’ बोलते ही जमुनिया आयी और प्यार से आकर गाल सहलाती निकल गयी रिया के.
‘आये रहे का भैया…नास्ता चाय सभहि लाइ दिए हैं….’
‘अरे इतनी सी बच्ची और चिंता देखो..ऐसे फिकर करती है ये भैया आपका जईसे ये ही मैया हो आपकी..’ ठहाका देकर ऊँची आवाज़ में मालिक से जमुनिया बोली.

‘बेबी आपकी बस न निकल जाये पापा के नास्ते की फिकर में. अरु ये टिफन लेई जाओ ….ऐ रिया बेबी….’
ढूंढती हुई गयी तो देखा पूजा घर में ध्यान मग्न हो दिया लगा रही है. और चुपके से पापा उसको देख कर हमेशा की तरह भाव विभोर हो रहे हैं.

बात को कुछ संभालने की कोशिश करते हुए जमुनिया बोली..

‘भैया आज हम कही दे रहे हैं इ छोटी से अम्मा हमपे इतना हुकुम चलएंगी तो हम न करेंगी इधर काम …हाँ. हमारी बहुत डिमांड हैं आजकल गली के सब घरों में…हाँ ….’

‘अच्छा.. बड़ी आयी जमु मेम .. जाओ तो.. हमारी जैसी अम्मा न हो न तो तुमसे कुछ काम ही न किया जाये..’ कहकर छोटे छोटे पाओ दौड़ी आयी और गले लग गयी.
‘चलो जल्दी टिफ़िन दो. डेली हमें लेट करवाती हो स्कूल बस के लिए..’

नन्हे कदमो से पापा के ओर दौड़ती हुई गयी और पापा ने उसे गोद में उठा लिया.

‘पापा इतना ज्यादा मत काम किया करो ऑफिस में. देखो आपको dark circles हो रहे हैं…’ पापा को ज़ोर की हसी आगयी.

‘नए शब्द सीख के मेरे पे आज़माती है सब’

रोज़ एक एप्पल रखती हूँ न आपके बैग में .. खाते भी हो या बाँट देते हो दूसरो में ..’ चेहरे पर कुछ कड़क भाव ला कर बोली.
‘हाँ मेरी माँ .. मेरी इतनी हिम्मत की रिया का कहा टालू…चल जल्दी बस आती ही होगी..’

‘हाँ ..चलो बाय बाय..’ ‘आती हूँ दोपहर तक… पापा का टिफ़िन रखना मत भूलना..री..जमु…’ कहती हुई दौड़ गयी गली के बाहर….

फिर से आंखें कुछ नम सी होगयी रिया के पापा की..

7 साल पहले हुआ वाकया नज़रों में उतर आया…
कपडे डालने छत पे गयी माया आठवे महीनें में फिसल गयी थी..डॉक्टरों ने ऐतिहात बरतते हुए ऑपरेशन की सलाह दी थी.
“ऐ माया देखियो ..लड़का ही होबे तो ही अच्छा है, मिश्रा ख़ानदान का कुलदीप होबेगा ..और कल को तुमई लोगन का सहारा बनेगा”
सास की बात सुन दर्द से कराह रही माया ने पानी माँगा और बोली थी.. “देखो माँ कुल दीपक तो हमाइ लोग बनाते हैं लल्लाओं को ..वो आया तो ज़रूर ही सब का सहारा बनेगा..पर अगर लड़की आयी तो बचपन से ही रोसन करेगी घर द्वार तुमरा..जरूरत पड़ी तो तुमरा हमरा सबै का जगह संभल ले है..लड़की दूसरो के लिए जिए है माँ ..दूसरो के लिए….”

जन्म देते ही माया तो गुज़र गयी..और कुछ साल बाद माँ भी नहीं रही. अब सबकी जगह इस रिया ने संभल ली है. कमी तो ज़रूर लगती है सबकी पर जीवन में अँधेरा नहीं आने दिया इस नन्हे दिए ने.