Unconditional Love…

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सर खुजलाती-सी एक नादान
मासूम छोटी गुब्बारे वाली बच्ची
दौड़ी आई सिग्नल लाल होते ही 
बोली दीदी एक गुब्बारा ले लो
औ मोहक-सी मुस्कान उसकी
मानो दिन भर के थकान को
पल भर में ही ले उड़ी हो.

गुब्बारे को माना कर के उस मुस्काते चेहरे को
दुखी करने का मन ना किया
बेग मे हाथ डाला तो किस्मत से एक डिब्बी मिली
कुछ काजू किशमश पड़े थे
एक टक मेरी हर हरकत को देखती उसकी आँखें
तुरंत शर्मा गयी.. ज्यो ही मैने पूछ लिया ‘खाएगी?’

झट से पीछे मुड उसकी नज़रें कुछ ढूँढने लगी
कोने मे पेड़ के नीचे एक नवजात को लिए
बैठी थी उसकी माँ.
चमकती उसकी आँखो को देख वो भी मुस्कुरा दी
दूर से यूँ ही
बच्ची ने फिर वापस पलट
हाथ बढ़ाया और
मैने सारी डिबिया पलट दी
उसके नन्हे हाथो में
खिल खिल करती थोड़ा और मुस्का गयी
उसकी आँखें.. और उसकी देख मेरी.

गुब्बारो के गुथे धागो के गुच्छे को बगल मे भींच
दौड़ी गयी माँ के पास
थोड़ी मुठ्ठी माँ के हाथो मे खोल
थोड़ी खुद की फ्रोक के जेब में
गुब्बारो को रख माँ के बगल में
ज़रा कूदती ज़रा नाचती
कभी जेब मे हाथ डाल काजू निकलती
कभी कुछ किशमिश

सिग्नल खुल गया गाड़ी लिए में भी आगे निकल पड़ी
बस कुछ रह गया रुका तो
मन में एक सुकून और
आँखों में सदा के लिए बस जाने वाली
वो प्यारी हँसी.